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Vedic Astrology Researcher
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Prediction Date: 11 November 2025
Astrological References
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Yogas & Doshas Found
अमल योग (निर्मल योग) लग्न से 10वें भाव में शुभ चंद्रमा के होने से बनता है। यह एक सम्मानजनक चरित्र, सफलता और समृद्धि को बढ़ावा देता है।
एक धन योग (धन के लिए संयोजन) मौजूद है। यह पहले भाव के स्वामी और दूसरे भाव के स्वामी की युति से बनता है, जिसमें भाव 1 और 2 शामिल हैं।
एक मूलभूत नाभास योग, 'दामिनी योग', मौजूद है। यह सभी पारंपरिक ग्रहों के 6 भावों में सीमित होने से बनता है। यह योग एक मददगार और परोपकारी स्वभाव, धन और कई बच्चों का संकेत देता है।
चंद्राधि योग, जो एक आरामदायक जीवन, नेतृत्व और शत्रुओं पर विजय के लिए एक प्रमुख योग है, मौजूद है। यह चंद्रमा से 6वें, 7वें, या 8वें भाव में शुभ ग्रहों के होने से बनता है। इस कुंडली में यह योग शुक्र के 6वें भाव में होने के कारण बन रहा है।
एक शक्तिशाली नीच भंग राज योग (नीचता का रद्द होना) मौजूद है। नीच के शनि की कमजोरी रद्द हो जाती है क्योंकि उसकी राशि में उच्च का होने वाला ग्रह, सूर्य, लग्न या चंद्रमा से केंद्र में है। यह अक्सर शुरुआती संघर्षों के बाद बड़ी सफलता प्रदान करता है।
एक शक्तिशाली राज योग ('शाही संयोजन') मौजूद है। यह चौथे भाव के स्वामी (चंद्रमा) और 5वें भाव के स्वामी (सूर्य) के बीच पारस्परिक दृष्टि संबंध से बनता है। केंद्र (कर्म) और त्रिकोण (भाग्य) के स्वामी का यह संयोजन जातक को पद, सफलता और अधिकार का आशीर्वाद देता है।
एक शक्तिशाली राज योग ('शाही संयोजन') मौजूद है। यह 7वें भाव के स्वामी (शुक्र) और पहले भाव के स्वामी (मंगल) की युति से बनता है। केंद्र (कर्म) और त्रिकोण (भाग्य) के स्वामी का यह संयोजन जातक को पद, सफलता और अधिकार का आशीर्वाद देता है।
एक शक्तिशाली विमल योग मौजूद है। यह एक विशेष 'विपरीत राज योग' (भाग्य का उलटफेर) है, जो 12वें भाव के स्वामी, बृहस्पति, के 12वें भाव में स्थित होने से बनता है। यह अनूठी स्थिति दुःस्थान के स्वामी की नकारात्मक क्षमता को नष्ट कर देती है और व्यक्ति को स्वतंत्र, नेक और धन के मामले में अच्छा बनाती है।
एक भाग्यशाली पारिजात योग मौजूद है। यह इसलिए बनता है क्योंकि लग्नेश (मंगल) का राशि स्वामी, जो बुध है, 5वें भाव (एक केंद्र/त्रिकोण) में अच्छी तरह से स्थित है। यह एक सुखी, सम्मानित और सफल जीवन का संकेत देता है, विशेषकर मध्य और बाद के वर्षों में।
एक भाग्यशाली सिंहासन योग ('राजगद्दी' योग) मौजूद है। यह इसलिए बनता है क्योंकि 10वें भाव का स्वामी, शनि, पहले भाव (एक केंद्र या त्रिकोण) में अच्छी तरह से स्थित है। यह इंगित करता है कि जातक सिंहासन पर बैठने की तरह अधिकार और सम्मान का एक उच्च पद प्राप्त करेगा।
एक उभयचारी योग मौजूद है, जो सूर्य के दोनों ओर ग्रहों के होने से बनता है। सूर्य से दूसरे और बारहवें दोनों भावों में ग्रह स्थित हैं। यह योग व्यक्ति के चरित्र, वाणी, पद और दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिसके विशिष्ट परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि दोनों ओर के ग्रह शुभ हैं या अशुभ।
एक भाग्यशाली वसुमति योग मौजूद है। यह लग्न से 'वृद्धि के भावों' (उपचय भाव) में शुभ ग्रहों के होने से बनता है। यह इंगित करता है कि जातक बहुत धनी बनेगा, और समय के साथ अपने प्रयासों से उसका भाग्य बढ़ेगा।
एक भाग्यशाली वसुमति योग मौजूद है। यह चंद्रमा से 'वृद्धि के भावों' (उपचय भाव) में शुभ ग्रहों के होने से बनता है। यह इंगित करता है कि जातक बहुत धनी बनेगा, और समय के साथ अपने प्रयासों से उसका भाग्य बढ़ेगा।
4/10 अक्ष पर बंधन योग बन रहा है (प्रत्येक में 1 ग्रह)। यह निजी जीवन/घर (चौथे भाव) और करियर/सार्वजनिक स्थिति (10वें भाव) से संबंधित दबाव पैदा कर सकता है।